Daily Gk Part-2
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1.सुप्रीम कोर्ट ने कहा : शादी तोड़ने का 3 तलाक सबसे घटिया तरीका*
- उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि मुस्लिम समाज में विवाह विच्छेद के लिए तीन तलाक देने की प्रथा सबसे खराब है और यह वांछनीय नहीं है। हालांकि ऐसी सोच वाले संगठन भी हैं, जो इसे वैध बताते हैं।
- प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कहा कि यह ऐसा मसला नहीं है जिसकी न्यायिक जांच की जरूरत हो और वैसे भी महिलाओं को निकाहनामा में ही इस बारे में शर्त लिखवाकर तीन तलाक को नहीं कहने का अधिकार है।
- एक बार में तीन तलाक को पाप के सामान बताए जाने पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जो चीज ईश्वर की निगाह में पाप है, उसे इंसान के बनाए कानून में सही कैसे कहा जा सकता है?
- बहस के दौरान जस्टिस आरएफ नरीमन ने कहा कि तीन तलाक शादी तोड़ने का सबसे घटिया और अवांछित तरीका है। लेकिन कुछ विचारधाराएं इसे वैध मानती हैं। 1मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ आजकल तीन तलाक की वैधानिकता पर विचार कर रही है।
- कोर्ट की मदद कर रहे वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को दूसरे दिन की सुनवाई में कहा कि इस मुद्दे की न्यायिक समीक्षा की जरूरत नहीं है। मेरी निजी राय में यह पाप है, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसे वैध मानता है। पीठ ने कहा कि कुछ लोग मौत की सजा को भी पाप मानते हैं, लेकिन ये वैध है। तभी जस्टिस कुरियन जोसेफ ने सवाल किया कि जो चीज ईश्वर की निगाह में पाप है, वह क्या इंसान के बनाए कानून में सही हो सकती है।
- वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में कॉमन सिविल कोड का जिक्र करते हुए कहा कि विभिन्न धर्मो का देश होने के कारण इसे लागू करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन, एक ही धर्म के मानने वाले पति-पत्नी को तो कानून में बराबरी का हक दिया जा सकता है।
- तीन तलाक बराबरी के मौलिक अधिकार का हनन है। इसमें महिलाओं के साथ लिंग आधारित भेदभाव है। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मुहम्मद खान ने ऑल इंडिया वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से तीन तलाक का विरोध करते हुए कहा कि यह इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। यह इस्लाम के पूर्व का प्रचलन है, जिसमें लड़कियों को जिंदा दफना दिया जाता था।
- ये सारी चीजें इस्लाम में बाद में आयी हैं। तीन तलाक पर चल रही सुनवाई में चार पूर्व केंद्रीय मंत्री बहस कर रहे हैं। इनमें से कपिल सिब्बल, राम जेठमलानी और सलमान खुर्शीद तो देश के कानून मंत्री रह चुके हैं। एक अन्य पूर्व कैबिनेट मंत्री आरिफ मुहम्मद खान हैं। तीनों पूर्व कानून मंत्री अलग-अलग पक्षों की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ बहस कर रहे हैं।
*2. नए कलेवर में आए महंगाई व आइआइपी आंकड़े*
- केंद्र सरकार ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था की सेहत का हाल बताने वाले थोक महंगाई दर और औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े नए कलेवर के साथ पेश किए। नई सीरीज के आंकड़ों में थोक महंगाई दर अप्रैल में घटकर 3.85 प्रतिशत पर आ गई है।
- औद्योगिक उत्पादन के बैरोमीटर आइआइपी की वृद्धि दर मार्च में 2.7 प्रतिशत दर्ज की गई है। अप्रैल में खुदरा महंगाई की दर भी घटकर 2.99 प्रतिशत पर आ गई है।
- सरकार ने थोक महंगाई सूचकांक (डब्ल्यूपीआइ) और आइआइपी (औद्योगिक उत्पादन सूचकांक) के नए आंकड़े आधार वर्ष 2011-12 पर जारी किए हैं। अब तक ये दोनों आंकड़े 2004-05 के आधार वर्ष पर आ रहे थे।
- हालांकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर के आंकड़े पिछले कुछ वर्षो से आधार वर्ष 2012 पर ही जारी हो रहे थे।
- थोक महंगाई दर के आंकड़ों की नई सीरीज 697 वस्तुओं की बास्केट पर आधारित है। इसमें 117 प्राथमिक वस्तुएं, 16 ईंधन व बिजली संबंधी आइटम और मैन्यूफैक्चरिंग से 564 वस्तुएं शामिल हैं। पुरानी सीरीज में 676 वस्तुएं शामिल थीं।
- थोक महंगाई दर की नई सीरीज में दूसरा बदलाव यह है कि इसमें परोक्ष कर शामिल नहीं हैं। इस लिहाज से थोक महंगाई को प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स के तौर पर देखा जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यही मानक प्रचलित है।
- पहले की तरह इसमें सेवा शामिल नहीं हैं। नई सीरीज के हिसाब से थोक महंगाई दर अप्रैल में 3.8, मार्च में 5.29 और फरवरी में 4.26 प्रतिशत रही है। नई सीरीज में एक नया ‘डब्ल्यूपीआइ फूड इंडेक्स’ भी दिया गया है। इसमें अप्रैल में 1.16 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि मार्च में यह 3.82 प्रतिशत थी।
- खाद्य थोक महंगाई में कमी की मुख्य वजह दलहन और आलू व प्याज जैसी सब्जियों के भाव में गिरावट आना है।
- आइआइपी की वृद्धि दर में कमी : सरकार ने आइआइपी की भी नई सीरीज आधार वर्ष 2011-12 पर जारी की है। मैन्यूफैक्चरिंग के खराब प्रदर्शन के चलते इसकी वृद्धि मार्च में 2.7 प्रतिशत रही। मार्च, 2016
में औद्योगिक उत्पादन 5.5 प्रतिशत बढ़ा था।
- पूरे वित्त वर्ष के लिहाज से 2016-17 में आइआइपी में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई। इससे पूर्व के वर्ष में यह मात्र 3.4 प्रतिशत बढ़ा था। नई सीरीज में 809 वस्तुएं शामिल हैं। जबकि 2004-05 की सीरीज में 620 वस्तुएं थीं।
- खुदरा महंगाई की दर घटी : दलहन और सब्जियों सहित खाने पीने की चीजों के दाम कम होने से खुदरा महंगाई दर अप्रैल में घटकर 2.99 प्रतिशत रह गई। मार्च में यह 3.89 प्रतिशत थी। अप्रैल, 2016 में खुदरा महंगाई दर 5.47 प्रतिशत थी।
- रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति तय करते समय खुदरा महंगाई को ही संज्ञान में लेता है।1अप्रैल में दलहन उत्पादों की कीमतों में 15.94 प्रतिशत की कमी आई। सब्जियां 8.59 प्रतिशत सस्ती हुईं। मार्च में दलहन की महंगाई दर -12.42 और सब्जियों की -7.24 प्रतिशत थी। हालांकि मार्च में फलों की कीमत 3.78 प्रतिशत बढ़ी, जबकि मार्च में 9.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
- अनाज की महंगाई अप्रैल में 5.06 प्रतिशत बढ़ी है। जबकि मार्च में यह 5.38 फीसद थी। ईंधन और बिजली श्रेणी की महंगाई दर अप्रैल में 6.13 प्रतिशत रही।
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