Hindi Grammar Samaas समास HSSC CTET HTET REET UPTET TET notes 2018-19
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जिस समास का पहला पद(पूर्व पद) प्रधान हो और वह अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे – यथामति (मति के अनुसार), आमरण (मृत्यु तक) इनमें यथा और आ अव्यय हैं। जहां एक ही शब्द की बार बार आवृत्ति हो, अव्ययीभाव समास होता है जैसे – दिनोंदिन, रातोंरात, घर घर, हाथों-हाथ आदि
कुछ अन्य उदाहरण –
आजीवन – जीवन-भर
यथासामर्थ्य – सामर्थ्य के अनुसार
यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
यथाविधि- विधि के अनुसार
यथाक्रम – क्रम के अनुसार
भरपेट- पेट भरकर
हररोज़ – रोज़-रोज़
हाथोंहाथ – हाथ ही हाथ में
रातोंरात – रात ही रात में
प्रतिदिन – प्रत्येक दिन
बेशक – शक के बिना
निडर – डर के बिना
निस्संदेह – संदेह के बिना
प्रतिवर्ष – हर वर्ष
आमरण – मरण तक
खूबसूरत – अच्छी सूरत वाली
अव्ययी समास की पहचान – इसमें समस्त पद अव्यय बन जाता है अर्थात समास लगाने के बाद उसका रूप कभी नहीं बदलता है। इसके साथ विभक्ति चिह्न भी नहीं लगता। जैसे – ऊपर के समस्त शब्द है।परक
तत्पुरुष समाससंपादित करें
तत्पुरुष समास – जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे – तुलसीदासकृत = तुलसीदास द्वारा कृत (रचित)
ज्ञातव्य- विग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारक वाला वह समास होता है।
विभक्तियों के नाम के अनुसार तत्पुरुष समास के छह भेद हैं-
- कर्म तत्पुरुष (द्वितीया कारक चिन्ह) (गिरहकट – गिरह को काटने वाला)
- करण तत्पुरुष (मनचाहा – मन से चाहा)
- संप्रदान तत्पुरुष (रसोईघर – रसोई के लिए घर)
- अपादान तत्पुरुष (देशनिकाला – देश से निकाला)
- संबंध तत्पुरुष (गंगाजल – गंगा का जल)
- अधिकरण तत्पुरुष (नगरवास – नगर में वास)
तत्पुरुष समास के प्रकारसंपादित करें
नञ तत्पुरुष समास
जिस समास में पहला पद निषेधात्मक हो उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे –
समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समास-विग्रह
असभ्य न सभ्य अनंत न अंत
अनादि न आदि असंभव न संभव
कर्मधारय समाससंपादित करें
जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद व उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास कहलाता है। जैसे –
समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समास-विग्रह
चंद्रमुख चंद्र जैसा मुख कमलनयन कमल के समान नयन
देहलता देह रूपी लता दहीबड़ा दही में डूबा बड़ा
नीलकमल नीला कमल पीतांबर पीला अंबर (वस्त्र)
सज्जन सत् (अच्छा) जन नरसिंह नरों में सिंह के समान
द्विगु समाससंपादित करें
जिस समास का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं। इससे समूह अथवा समाहार का बोध होता है। जैसे –
समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समास-विग्रह
नवग्रह नौ ग्रहों का समूह दोपहर दो पहरों का समाहार
त्रिलोक तीन लोकों का समाहार चौमासा चार मासों का समूह
नवरात्र नौ रात्रियों का समूह शताब्दी सौ अब्दो (वर्षों) का समूह
अठन्नी आठ आनों का समूह त्रयम्बकेश्वर तीन लोकों का ईश्वर
द्वन्द्व समाससंपादित करें
जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर ‘और’, अथवा, ‘या’, एवं योजक चिन्ह लगते हैं , वह द्वंद्व समास कहलाता है। जैसे- माता-पिता ,भाई-बहन, राजा-रानी,दु:ख-सुख,
बहुव्रीहि समाससंपादित करें
जिस समास के दोनों पद अप्रधान हों और समस्तपद के अर्थ के अतिरिक्त कोई सांकेतिक अर्थ प्रधान हो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे –
समस्त पद समास-विग्रह
दशानन दश है आनन (मुख) जिसके अर्थात् रावण
नीलकंठ नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव
सुलोचना सुंदर है लोचन जिसके अर्थात् मेघनाद की पत्नी
पीतांबर पीला है अम्बर (वस्त्र) जिसका अर्थात् श्रीकृष्ण
लंबोदर लंबा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् गणेशजी
दुरात्मा बुरी आत्मा वाला ( दुष्ट)
श्वेतांबर श्वेत है जिसके अंबर (वस्त्र) अर्थात् सरस्वती जी
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