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HTET CTET UPTET HPTET Mathematics Teaching Methods-2

HTET CTET UPTET HPTET Mathematics Teaching Methods-2 PDF Notes, Math Study Material


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खेल विधि के गुण —

  1. मनोवैज्ञानिक विधि – खेल में बच्चें की स्वाभाविक रूचि होती है और वह खेल आत्मप्रेरणा से खेलता है । अतः इस विधि से पढ़ाई को बोझ नहीं समझता ।
  2. सर्वांगीण विकास — खेल में गणित संबंधी गणनाओं और नियमों का पूर्ण विकास होता है । इसके साथ साथ मानवीय मूल्यों का विकास भी होता हैं ।
  3. क्रियाशीलता – यह विधि करो और सीखो के सिद्धांत पर आधारित है ।
  4. सामाजिक दृष्टिकोण का विकास – इस विधि में पारस्परिक सहयोग से काम करने के कारण सामाजिकता का विकास होता हैं ।
  5. स्वतंत्रता का वातावरण – खेल में बालक स्वतंत्रतापूर्वक खुले ह्रदय व मस्तिष्क से भाग लेता हैं ।
  6. रूचिशील विधि – यह विधि गणित की निरसता को समाप्त कर देती हैं ।

खेल विधि के दोष –

  1. शारीरिक शिशिलता
  2. व्यवहार में कठिनाई
  3. मनोवैज्ञानिक विलक्षणता

 

आगमन विधि

 

  1. इस शिक्षा प्रणाली में उदाहरणों की सहायता से सामान्य नियम का निर्धारण किया जाता है, को आगमन शिक्षण विधि कहते हैं
  2. यह विधि विशिष्ट से सामान्य की ओर शिक्षा सूत्र पर आधारित है ।
  3. इसमें स्थूल से सूक्ष्म की ओर बढ़ा जाता है ।

उदाहरण स्थूल है, नियम सूक्ष्म ।

आगमन विधि के गुण —

  1. यह शिक्षण की सर्वोत्तम विधि है । इससे नवीन ज्ञान को खोजने का अवसर मिलता है और यह अनुसंधान का मार्ग प्रशस्त करती हैं ।
  2. इस विधि में विशेष से सामान्य की ओर और स्थूल से सूक्ष्म की ओर अग्रसर होने के कारण यह विधि मनोवैज्ञानिक हैं ।
  3. नियमों को स्वयं निकाल सकने पर छात्रों में आत्मविश्वास की भावना का विकास होता हैं ।
  4. इस विधि में रटने की प्रवृत्ति को जन्म नहीं मिलता हैं । अतः छात्रों को स्मरण शक्ति पर निर्भर रहना पड़ता है ।
  5. यह विधि छोटे बच्चों के लिए अधिक उपयोगी और रोचक हैं ।

आगमन विधि के दोष —

  1. यह विधि बड़ी कक्षाओं और सरल अंशों को पढ़ाने के लिए उपयुक्त हैं ।
  2. आजकल की कक्षा पद्धति के अनुकूल नहीं है क्योंकि इसमें व्यक्तिगत शिक्षण पर जोर देना पड़ता है ।
  3. छात्र और अध्यापक दोनों को ही अधिक परिश्रम करना पड़ता है ।

 

निगमन विधि

 

  1. इस विधि में अध्यापक किसी नियम का सीधे ढ़ंग से उल्लेख करके उस पर आधारित प्रश्नों को हल करने और उदाहरणों पर नियमों को लागू करने का प्रयत्न करता हैं ।
  2. इस विधि में छात्र नियम स्वयं नही निकालते, वे नियम उनकों रटा दिए जाते हैं और कुछ प्रश्नों को हल करके दिखा दिया जाता है ।

निगमन विधि के गुण —

  1. बड़ी कक्षाओं में तथा छोटी कक्षाओं में भी किसी प्रकरण के कठिन अंशों को पढ़ाने के लिए यह विधि सर्वोत्तम है ।
  2. यह विधि कक्षा पद्धति के लिए सबसे अधिक उपयोगी है ।
  3. ज्ञान की प्राप्ति काफी तीव्र होती है । कम समय में ही अधिक ज्ञान दिया जाता है ।
  4. ऊँची कक्षाओं में इस विधि का प्रयोग किया जाता है क्योंकि वे नियम को तुरंत समझ लेते है ।
  5. इस विधि में छात्र तथा शिक्षक दोनों को ही कम परिश्रम करना पड़ता है ।
  6. इस विधि से छात्रों की स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है ।

निगमन विधि के दोष —

  1. निगमन विधि सूक्ष्म से स्थूल की ओर बढ़ने के कारण शिक्षा सिद्धांत के प्रतिकूल है । यह विधि अमनोवैज्ञानिक है ।
  2. इस विधि रटने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता हैं ।
  3. इसके माध्यम से छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा नही होता ।
  4. नियम के लिए इस पद्धति में दूसरों पर आश्रित रहना पड़ता है, इसलिएइस विधि से सीखने में न आनंद मिलता है और न ही आत्मविश्वास बढ़ता हैं ।

आगमन तथा निगमन विधि में तुलनात्मक निष्कर्ष —

  1. आगमन विधि निगमन विधि से अधिक मनोवैज्ञानिक हैं ।
  2. प्रारंभिक अवस्था में आगमन विधि अधिक उपयुक्त है परन्तु उच्च कक्षाओं में निगमन विधि अधिक उपयुक्त है क्योंकि इसकी सहायता से कम समय में अधिक ज्ञान प्राप्त किया जा सकता हैं ।

 

विश्लेषण विधि (Analytic Method) —

 

  1. विश्लेषण शब्द का अर्थ है – किसी समस्या को हल करने के लिए उसे टुकड़ों बांटना, इकट्ठी की गई वस्तु के भागों को अलग – अलग करके उनका परीक्षण करना विश्लेषण है ।
  2. यह एक अनुसंधान की विधि है जिसमें जटिल से सरल, अज्ञात से ज्ञात तथा निष्कर्ष से अनुमान की ओर बढ़ते हैं ।
  3. इस विधि में छात्र में तर्कशक्ति तथा सही ढंग से निर्णय लेने की आदत का विकास होता हैं ।

उदाहरण :-

एक विधार्थी के गणित, विधान तथा अंग्रेजी के अंको का औसत 15 था । संस्कृत, हिन्दी तथा सामाजिक के अंको का औसत 30 था तो बताओ 6 विषयों के अंको का औसत क्या था ?

विश्लेषण की प्रक्रिया तथा संभावित उत्तर —

  1. प्रश्न में क्या दिया हैं ?

गणित, विज्ञान तथा अंग्रेजी के अंकों का औसत = 15

  1. और क्या दिया है ?

बाकि तीन विषयों का औसत = 30

  1. क्या ज्ञात करना है ?

6 विषयों के अंकों का औसत ?

  1. सभी विषयों का औसत कैसे निकाल सकते हैं ?

जब सभी विषयों के अंकों का योग ज्ञात हो ।

  1. पहले तीन विषयों के अंकों का योग कब ज्ञात हो सकता है ?

जब उनका औसत ज्ञात हो ।

  1. अगले तीन विषयों का योग कब ज्ञात किया जा सकता हैं ?

जब उनका औसत ज्ञात हो ।

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